मुहावरे व लोकोक्तियाँ हिंदी विषय का एक महत्वपूर्ण अंश है । इस विषय से कई प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए मुहावरे व लोकोक्तियाँ के बारे में जानना प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
ऐसा वाक्यांश जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विशेष अर्थ का बोध करता है उसे मुहावरा कहते हैं। मुहावरों के कुछ उदहारण निम्नलिखित हैं :-
- अंधे की लाठी :- एक मात्र सहारा
- खून सूखना :- डर जाना
- ठन ठन गोपाल :- निर्धन व्यक्ति
लोकोक्ति का अर्थ है, लोक की उक्ति अर्थात जन-कथन । लोकोक्तियों को कहावते भी कहते हैं ।लोकोक्तियाँ व कहावते लोक-जीवन की किसी घटना से जुड़ी होती हैं। लोकोक्तियों के कुछ उदहारण निम्नलिखित हैं :-
- अधजल गगरी छलकत जाए :- ओछा आदमी थोड़ा गुण या धन होने पर इतराने लगता है ।
- अपना अपना कमाना, अपना अपना खाना :- किसी दूसरे के भरोसे नहीं रहना
- खेल खिलाडी का, पैसा मदारी का :- मेहनत किसी की लाभ किसी और का
मुहावरे और लोकोक्तियाँ एक जैसे लगते हैं लेकिन इनमे कुछ अंतर होता है ।
- मुहावरे वाक्यांश अर्थात वाक्य के अंश होते हैं जबकि लोकोक्ति एक संपूर्ण वाक्य होती है ।
- मुहावरे संक्षिप्त रूप में होते हैं जबकि लोकोक्तियाँ विस्तृत रूप में होती हैं ।
- मुहावरों का प्रयोग स्वतंत्र रूप में नहीं हो सकता है लेकिन लोकोक्तियों का प्रयोग स्वतंत्र रूप में हो सकता है ।
- मुहावरे विकारी होते हैं अर्थात वाक्य अनुसार इसका अर्थ बदल जाता है जबकि लोकोक्तियाँ अविकारी होती हैं जिनका अर्थ नहीं बदलता है।
Important मुहावरे व लोकोक्तियाँ For Competitive Exams
- आग लगने पर कुआँ खोदना – विपत्ति आने पर ही उसका समाधान करना या पहले से कोई उपाय न करना
- आगे कुआँ पीछे खाई – दोनों और संकट
- अंधा पीसे कुत्ता खाये – कमाए कोई और खाए कोई
- अपना हाथ जगन्नाथ – अपने आप से कार्य करना ही उपयुक्त होता है
- अंजर पंजर ढीले करना – बुरी तरह मारना
- आँख का अंधा नाम नयनसुख – गुण के विपरीत नाम
- आँख का अंधा गाँठ का पूरा – मुर्ख किन्तु धनी
- अंधे की लाठी – एक मात्र सहारा
- अंधे के हाथ बटेर लगना – बिना परिश्रम के लाभ मिलना / किसी अयोग्य व्यक्ति को महत्वपूर्ण वस्तु प्राप्त हो जाना
- आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास – बड़े लक्ष्य को निर्धारित करके छोटे कार्य में लग जाना
- आँसू पीकर रह जाना – चुपचाप दुःख सह लेना
- आठ-आठ आँसू रोना – बहुत अधिक विलाप करना / बहुत पछताना
- अपनी करनी पार उतरनी – अपने कर्मों का फल स्वयं भोगना पड़ता है
- आप भला तो जग भला – पहले खुद अच्छा बनो
- अपनी पगड़ी अपने हाथ – अपनी प्रतिष्ठा (इज्जत) अपने हाथ
- आठ कनौजिया नौ चूहले – अलगाव (बंटवारे) की स्थिति
- आँख का पानी ढल जाना – निर्लज्ज हो जाना
- ओस चाटे प्यास नहीं बुझती – बड़े काम के लिए विशेष प्रयत्न की जरुरत होती है
- अपना रंग जमाना – प्रभावित करना
- आप डूबे तो जग डूबा – बुरे व्यक्ति को सब बुरे ही लगते हैं
- आँख न दीदा काढ़े कसीदा – योग्यता न रहने पर भी काम करने की शेखी करना
- अक्ल का अंधा – मूर्ख
- अक्ल पर पत्थर पड़ना / आँखों पर परदा पड़ना – बुद्धि भ्रष्ट होना/ समझ न रहना
- अढ़ाई दिन की बादशाहत – थोड़े दिन की शान-शौकत
- अंतड़ियों में बल पड़ना – पेट में दर्द होना
- आसमान सर पर उठाना – बहुत शोर करना
- अपनी कब्र आप खोदना – स्वयं अपने लिए मुसीबत पैदा करना
- आँखे खुलना – होश आना/ सावधान होना
- आँखें चार होना – प्यार होना
- आँखें चुराना – अनदेखा करना
- आँखें पथरा जाना – कुछ नजर न आना या आँखें खुली की खुली रह जाना
- आँखें फेर लेना – पहले जैसा व्यवहार न करना/ दूर होना
- आँखें नीची होना – लज्जित होना
- आकाश से बातें करना – बहुत ऊंचा होना
- आटे दाल का भाव मालूम होना – कष्ट का अनुभव होना
- आगे नाथ न पीछे पगहा – जिसका संसार में कोई न हो/ बंधन से मुक्त
- ईंट से ईंट बजाना – सब कुछ नष्ट कर देना या करारा जवाब देना
- ईद का चाँद होना – बहुत दिनों बाद दिखना
- उलटी गंगा बहाना – विपरीत कार्य करना
- ऊँगली उठाना – निंदा करना
- ऊँट का का सुई की नोक से निकलना – असंभव होना
- एक मुँह दो बात – अपनी बात से पलट जाना
- एक आँख से देखना – सबको बराबर समझना
- एड़ियां रगड़ना – बहुत ज्यादा दौड़-धूप करना/ अथक प्रयास करना
- कान में तेल डालना – कुछ भी न सुनना
- कलेजे पर साँप लोटना – दूसरे की तरक्की देख कर जलना
- कोयले की दलाली में मुँह कला – बुरा काम बदनामी का कारण
- कलेजा ठंडा होना – मन को शांति मिलना
- कलई खुलना – भेद खुल जाना
- कान खोलना – सावधान कर देना
- कलम तोड़ना – बहुत सुन्दर लिखना
- कीचड़ उछालना – निंदा करना
- कोहलू का बैल – लगातार काम में लगे रहना
- कौआ चला हंस की चाल – दूसरों की नक़ल करना
- खग जाने खग की ही भाषा – जो लोग एक ही प्रवृति के होते हैं, वे एक-दूसरे को समझ लेते हैं
- खिचड़ी पकाना – षड्यंत्र करना
- खून का घूँट पीना – क्रोध को भीतर ही भीतर दबाना
- गूलर का फूल होना – दुर्लभ होना या दिखाई न देना
- गाँठ में बाँधना – अच्छे से याद करना
- गुदड़ी का लाल होना – गरीब के घर गुणवान का पैदा होना
- गोद में बैठकर दाढ़ी नोचना – भलाई पर भी दुष्टता करना
- गुड गोबर करना – काम बिगाड़ देना
- गंगाजली उठाना – कसम खाना
- गेहूं के साथ घुन पिसना – दोषी के साथ निर्दोष की भी हानि होना
- गुलछर्रे उड़ाना – मौज करना
- घोड़े बेचकर सोना – निश्चिन्त होना
- घी-खिचड़ी होना – खूब घुलना-मिलना
- चोर की दाढ़ी में तिनका – दोषी व्यक्ति हमेशा डरता रहता है
- चाँदी का जूता मारना – घूस देना
- चिराग लेकर ढूँढना – बहुत दुर्लभ होना
- चींटी के पर निकलना – नष्ट होने के करीब होना/ घमंडी होना
- छाती पर मूँग दलना – बहुत परेशान करना
- छोटे मुँह बड़ी बात – हैसियत या औकात से बढ़कर बात करना
- छछूंदर के सिर में चमेली का तेल – अयोग्य व्यक्ति को सुन्दर वस्तु मिल जाना
- जूतियों में दाल बाँटना – लड़ाई-झगड़ा हो जाना
- जमीन पर पैर न पड़ना – अत्यधिक प्रसन्न होना
- जली कटी सुनाना – बुरा भला कहना
- जहर की पुड़िया – झगड़ालू औरत/ नीच या खतरनाक व्यक्ति
- जिस बर्तन में खाना, उसी में छेद करना – एहसान फरामोश होना/ कृतघ्न अथवा अकृतज्ञ होना
- टेढ़ी ऊँगली से घी निकालना – बलपूर्वक काम निकलवाना
- टिप्पस लगाना – सिफारिश करना
- ढिंढोरा पीटना – सबको बताना
- टका सा मुँह लेकर रह जाना – लज्जित होना
- डपोरशंख – बिना सिर पैर की बातें करने वाला
- डंका बजाना – प्रभाव जमाना
- तीन में न तेरह में – महत्वहीन होना
- ताली एक हाथ से नहीं बजती – विवाद या झगड़ा एक तरफ़ा नहीं होता
- पत्थर को जोंक नहीं लगती – हठी व्यक्ति पर कोई प्रभाव नहीं होता
- पेट पर पट्टी बाँधना – भूखा रह जाना
- पैरों पर खड़ा होना – आत्मनिर्भर होना या स्वावलंबी होना
- फूटी आँख न सुहाना – जरा भी अच्छा न लगना
- फूलकर कुप्पा होना – बहुत खुश होना
- बाँझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा – जिस पर बीतती है सिर्फ वही जानता है
- बैल न कूदे, कूदे तंगी – स्वामी के बल पर सेवक का साहस
- बिल्ली के गले में घंटी बांधना – खुद को संकट में डालना
- बहती गंगा में हाथ धोना – अवसर का लाभ उठाना
- बूँद-बूँद से घड़ा भरता है – छोटे छोटे प्रयत्नों से बड़ा कार्य करना
- बाँसों उछलना- बहुत प्रसन्न होना
- बाल की खाल निकलना – अधिक छानबीन करना
- भाड़े का टटू – पैसे लेकर काम करने वाला
- मक्खी मारना – बेकार बैठे रहना
- मुँह की खाना – बुरी तरह हारना
- मूँग की दाल खाने वाला – कमज़ोर
- मुट्ठी गरम करना – रिश्वत देना
- मैदान मारना – लड़ाई जीतना
- मुँह में राम बगल में छुरी – देखने में सज्जन, हृदय से कपटी
मुहावरे व् लोकोक्तियाँ एक मजेदार और रोचक विषयों में से है जिसमें आप प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छे अंक हासिल कर सकते हैं । इन दिए गए मुहावरे व् लोकोक्तियों को बार बार पढ़े ताकि आपको ये याद हो जाएं।
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