HP Exam Adda has provided you with PDF of मुहावरे व् लोकोक्तियाँ (Idiom & Phrases) asked in Various previous year competitive exams of Himachal Pradesh. As we always say best way to prepare for any competitive exam is to go through previous year question and see what type of question is being asked.
We have compiled the most repeated muhavare and lokoktiyan (मुहावरे व् लोकोक्तियाँ) from previous year question papers of competitive exams of HP Government Jobs recruitment exams. We have provided you PDF of these previous year मुहावरे और लोकोक्तियाँ so that you can refer to PDF for quick revision of this topic
All these मुहावरे और लोकोक्तियाँ have been asked in various previous year competitive exams of Himachal Pradesh like HP Police Constable written exam, HP Patwar, HP Forest Guard, HP Allied Exam, HPAS, HPSSC, HPPSC, HPSAS etc.
मुहावरे व् लोकोक्तियाँ
- करेला और नीम चढ़ा – पहले से ही दोष होने पर दूसरा दोष भी आ मिलना
- कला अक्षर भैंस बराबर – पढ़ा लिखा न होना
- ऊँट के मुँह में जीरा – बहुत अधिक खाने वाले को बहुत कम देना
- नाच न जाने आंगन टेढ़ा – काम न जानना और बहाने बनाना
- घर का भेदी लंका ढाहे – आपसी फूट से हानि होना
- गूलर का फूल होना – लापता होना / दिखाई न देना
- नौ दो ग्यारह होना – भाग जाना
- अंधे की लाठी होना – एकमात्र सहारा
- राम जी की गाय होना – बहुत प्यारी वस्तु
- हवा से बातें करना – बहुत तेज गति से चलना
- फूटी ऑंख न सुहाना – बिलकुल भी अच्छा न लगना
- जैसी करनी वैसी भरनी – कर्मों के अनुसार फल मिलना
- नाच न जाने आँगन टेढ़ा – अपना दोष दूसरों के सिर मढ़ना
- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत – अवसर के निकल जाने के बाद में पछताना व्यर्थ है
- दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है – जो व्यक्ति एक बार धोखा खाता है, वह किसी पर विश्वास नहीं करता
- रातों की नींद उड़ना – परेशान होना / चिंता में पड़ना
- कसीदे काढ़ना – तारीफ करना
- आँख न दीदा काढ़े कसीदा – योग्यता न रहने पर भी काम करने की शेखी भरना
- आप बुरा जग बुरा – बुरा आदमी सबको बुरा कहता है
- कौवा चला हंस की चल – अपने निजी गुणों को छोड़कर किसी दूसरे की नक़ल करना
- बूँद-बूँद से भरे सरोवर – छोटे-छोटे प्रयासों से ही बड़ी सफलता मिलती है
- गेहूं के साथ घुन भी पिस जाता है – बुरे की संगति में भले भी बदनाम हो जाते हैं
- होनहार बिरवान के होत चिकने पात – होनहार व्यक्तियों की प्रतिभा बचपन में ही दिखाई दे जाती है
- हाथों के तोते उड़ना – डर जाना / सहम जाना
- कुएँ में भाँग पड़ना – सबकी बुद्धि मारी जाना / सभी लोगों द्वारा अनुचित आचरण किया जाना
- सांप सूंघ जाना – एकदम चुप हो जाना / बेसुध होना
- नौ नकद न तेरह उधार – ज्यादा कीमत पर उधार बेचने की बजाये काम कीमत पर नकद बेचना बेहतर होता है
- छछूंदर के सिर में चमेली का तेल – किसी अयोग्य व्यक्ति को कोई अच्छी चीज़ मिल जाना
- चांदी का जूता मरना – रिश्वत देना / घूस देना
- पेट में दाढ़ी होना – कम उम्र में ही ज्ञानी होना
- तबेले की बला बन्दर के सिर – अपराधी कोई और दण्ड किसी और को
- आँखें खुलना – सच्चाई का पता चलना
- काम आना – विपत्ति में मदद करना
- गीदड़ भभकी – किसी को डराने के लिए झूठी धमकी देना
- दाँत खट्टे करना – पराजित करना / हरा देना
- नाक का बाल होना – अधिक प्रिय होना
- अधजल गगरी छलकत जाए – ज्ञान काम और दिखावा अधिक करना
- आस्तीन का सांप – कपटी मित्र / जो मित्र होकर धोखा दे
- कूप-मंडूक होना – सीमित ज्ञान या सीमित अनुभव होना
- ढाक के तीन पात – सदा एक जैसा रहना
- मुँह की खाना – बुरी तरह से हारना
- पारा उतरना – क्रोध कम होना
- लोहा बजाना – तलवार चलाना / तलवारों से लड़ना
- चिरौरी करना – प्रार्थना करना
- झक मारना – व्यर्थ समय नष्ट करना
- बल्लियों उछलना – अत्यधिक खुश होना
- छाती पर मूँग दलना – किसी के पास रह कर उसे दुःख या कष्ट देना
- उँगली पर नचाना – किसी को अपने इशारों पर चलाना या वश में रखना
- जोंक होकर लिपटना – किसी के पीछे बुरी तरह पड़ना
- अपने पैरों पर खड़ा होना – आत्मनिर्भर होना
- अंधे के हाथ बटेर लगना – बिना मेहनत के किसी अयोग्य व्यक्ति को कोई अच्छी चीज़ मिल जाना
- एक घाट पानी पीना – एकता और सहनशीलता का होना
- कमान से तीर निकल जाना – कोई कदम उठाने के बाद उसे रोक पाना असंभव होना
- नीम हकीम खतरे जान – अयोग्य व्यक्ति से हानि होती है
- नहले पर दहला मारना – करारा जवाब देना
- बत्तीसी बंद होना – चुप हो जाना
- सिर का पसीना पाँव तक आना – कठिन परिश्रम करना
- थाली का बैंगन होना – अस्थिर विचार वाला / सिद्धांतहीन व्यक्ति होना
- चादर के बाहर पैर पसारना – आय से अधिक खर्च करना
- आकाश से बातें करना – बहुत ऊँचा होना
- न नो मन तेल होगा न राधा नाचेगी – किसी काम को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन न होना और न ही उस कम का पूरा होना
- सर पर पैर रख कर भागना – बहुत तेज भागना
- काटो तो खून नहीं – भय के कारण स्तब्ध हो जाना
- गुदड़ी का लाल – होनहार
- कान पर जूँ न रेंगना – किसी बात पर ध्यान न देना / किसी बात को अनसुना करना
- जमीन पर पैर न पड़ना – बहुत खुश होना
- भीगी बिल्ली बनना – डर जाना / बहुत शर्मा जाना
- हथेली पर सरसों जमाना – असंभव कार्य को भी संभव कर दिखाना
- बाँछें खिल जाना – अत्यधिक खुशी होना
- पांचों अंगुलियाँ घी में होना – हर तरफ से फ़ायदा होना
- घड़ों पानी पड़ जाना – बहुत ज्यादा शर्मिंदा होना
- सोने में सुहागा होना – दोहरा लाभ प्राप्त होना / किसी अच्छे कार्य में और अच्छा हो जाना
- हाथ-पैर मारना – बहुत प्रयास करना
- लोहा लेना – साहसपूर्वक मुकाबला करना / डटकर लड़ना
- नाच न जाने आँगन टेढ़ा – अपना दोष दूसरों के सिर मढ़ना
- छोटा मुँह बड़ी बात – छोटा होकर भी बड़ी-बड़ी बातें कहना
- दिन में तारे दिखना – घबरा जाना / मानसिक कष्ट या तनाव के कारण बोखला जाना
- नाक पर मक्खी न बैठने देना – अपने पर आँच न आने देना
- ऊँट के मुँह में जीरा – आवश्यकता से बहुत कम प्राप्त होने वाली चीज़
- चूड़ियाँ पहनना – कायरता / साहस की कमी दिखाना
- जूते चाटना – चापलूसी करना
- पौ बारह होना – बहुत ज्यादा लाभ मिलना
- दो दिन का मेहमान – जल्द मरने वाला
- गूलर का फूल होना – लापता होना / दुर्लभ होना
- गुदड़ी का लाल – गरीब परिवार में जन्मा हुआ गुणवान बच्चा
- लकीर का फकीर होना – परम्परा वादी होना
- नाक में दम कर देना – बहुत परेशान करना
- अधजल गगरी छलकत जाए – छोटे आदमी अधिक दिखावा करते हैं
- बिल्ली के भागों छींका टूटा – अचानक लाभ होना
- बहती गंगा में हाथ धोना – समय का लाभ उठाना
- नाक कटना – बदनामी होना
- नाक रख लेना – इज्ज़त बचाना
- नाक रगड़ना – गिड़गिड़ाकर विनती करना
- कान भरना – बुराई करना
- आधा तीतर आधा बटेर होना – बेमेल तथा बेढंगा
- अंतर के पट खोलना – विवेक से काम लेना
- मंत्र फूँकना – वशीकरण करना
- पाँव में शनीचर होना – एक स्थान पर स्थित न रहना
- बालू की भीत – शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तु
- खग जाने खग की भाषा – चालाक ही चालाक की भाषा समझता है
- ओछे की प्रीत बालू की भीत – दुष्टों की मित्रता शीघ्र समाप्त
- हाथ पर हाथ धरे रह जाना – कुछ कामकाज न करना
- ऑंख लगना – नींद आना
- कलम तोड़ना – बहुत अच्छा लिखना
- आँधी के आम – सस्ती बस्तु
- कूपमंडूक होना – अत्यन्त सीमित ज्ञान होना
- दाँत खट्टे करना – पराजित करना
Download PDF of मुहावरे व् लोकोक्तियाँ asked in Various competitve Exams of Himachal Pradesh
All these muhavare and lokoktiyan have been repeatedly asked in various competitive exams of not only Himachal Pradesh Govt. Job but also various state level exams of different states along with SSC, Railways, UPPSC, UPSC etc.
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