In this article, HP Exam Adda has provided HP Vidhan Sabha Reporter (Hindi) Question Paper II which was held on 11 June 2024. If you are aware of the exam pattern of HP Vidhan Sabha Secretariat Reporter (Hindi) then you know that the written test of HP Vidhan Sabha Secretariat Reporter (Hindi) consists of two papers i.e. Paper I and Paper II.
So here is the Paper II of HP Vidhan Sabha Reporter (Hindi) written exam. HP Vidhan Sabha Reporter (Hindi) Paper II is a descriptive exam. It is a 100-mark paper and the duration of the exam is 3 hours.
HP Vidhan Sabha Reporter (Hindi) Paper II :- 2024
सामान्य अनुदेश
- सभी प्रश्न सटीक, शब्द सीमा के भीतर ही करें
- प्रश्नों के उत्तर मौलिक अभिव्यक्ति में अपेक्षणीय है
- सभी प्रश्न अनिवार्य है
- प्रश्नों के अंक उनके सामने दिए हुए है
प्रश्न संख्या 1. हिंदी अवतरण की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिये।
पता नहीं किसने इस पेड़ का नाम ‘देवदारु’ रख दिया था, नाम निश्चय ही पुराना है, कालिदास से भी पुराना, महाभारत से भी पुराना। सीधे ऊपर की ओर उठता है, इतना ऊपर की पास वाली चोटी के भी ऊपर उठ जाता है, एकदम द्युलोक (स्वर्गलोक, आकाश या अंतरिक्ष) को भेद करने की लालसा से। नीचे शाखाएं मर्त्यलोक को अभयदान देने की मुद्रा में फैलती चली जाती हैं, मानो कह रही हों भय नहीं, मैं जो हूँ। प्रत्येक शाखा की झबरीली टहनियाँ कंटीले पत्तों के ऐसे लहरदार छंदों का वितान (शामियाना) तानती हैं की छाया चेरी-सी (सेविका के समान) अनुगमन करती है। जिस आचार्य ने परिपाटीविहित (प्रथा या ढंग के अनुसार) शिष्टजनानुमोदित (शिष्ट जनों द्वारा स्वीकृत) ‘सज्जा’ को ‘छाया’ नाम दिया था वह जरूर इस पेड़ की शोभा से प्रभावित हुआ था। पेड़ क्या है, किसी सुलझे हुए कवि के चित्त का मूर्तिमान छंद है – धरती के आकर्षण को अभिभूत करके लहरदार वितानों की श्रृंखला को सावधानी से संभालता हुआ, विपुल व्योम की ओर एकाग्रीभूत (एकाग्रतायुक्त) मनोहर छंद है।
…….(10 Marks)
प्रश्न संख्या 2. हिंदी पद्यांश की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिये।
यह अंतिम जप, ध्यान में देखते चरण-युगल
राम को बढ़ाया कर लेने को नील कमल;
कुछ लगा न हाथ, हुआ सहसा स्थिर मन चंचल;
ध्यान की भूमि से उतरे, खोले पलक विमल;
देखा, वहा रिक्त स्थान , यह जप का पूर्ण समय
आसान छोड़ा असिद्धि, भरे गये नयन-द्वय;
धिक जीवन को जो पाता ही आया है विरोध,
धिक साधन जिसके लिए सदा ही किया शोध
जानकी! हाय उद्धार प्रिया का हो न सका;
वह एक और मन रहा राम का जो न थका;
जो नहीं जानता दैन्य, नहीं जानता विनय,
…….(10 Marks)
प्रश्न संख्या 3. हिंदी अवतरण का अंग्रेजी अनुवाद कीजिये।
हम जिसे संस्कृति का सत्य कहते हैं, वह और कुछ नहीं शब्दों में अन्तर्निहित अर्थों की संयोजित व्यवस्था है और जिसे हम ‘यथार्थ’ कहते हैं, वह इन्ही अर्थों की खिड़की से देखा गया बाह्रा जगत है। जिस अनुपात में हम किसी ऐतिहासिक दबाव या दमन के कारण अपनी भाषा से उन्मूलित हो जाते हैं, ठीक उसी अनुपात में खिड़की से बाहर देखा गया परिदृश्य भी धूमिल और धुंधला पड़ता जाता है। भाषा भीतर के सत्य और बाहर के यथार्थ के बीच सेतु का काम करती है। दिलचस्प बात यह है की सत्य और यथार्थ दोनों असल में एक-दूसरे से अलग नहीं हैं, केवल वैचारिक सुविधा के लिए भी हम उन्हें दो पृथक सत्ताओं व रूप में देखते हैं। हम रहते एक ही शाब्द-जगत में हैं। जिस तरह बाहरी दुनिया भाषा की बन्दी है, वैसे ही हम भाषा के बन्दी हैं
…….(10 Marks)
प्रश्न संख्या 4. अंग्रेजी अवतरण का हिंदी अनुवाद कीजिये।
As a practitioner long associated with our diplomacy, there are two responsibilites that I seek to discharge through this book. One is to share the thinking of a rising power with a world that has become increasingly aware of that happening. The other is to communicate the necessity of accurately and challenges that lie before it. These twin exercises are, however, united in their cultural underpinnings. After all, this foundation influences our approach to the world as a family, as it does the pluralistic and consultative nature of our society. They shape our political ethos too, just as they promote our democratic understanding global developments to our own people. Only then can our nation fully appreciate the opportunity choices. The manner in which debates are conducted, decision reached and positions articulated, all have their own cultural signature. But above all, they bring out the values and ethics that are at the core of our collective personality.
…….(10 Marks)
प्रश्न संख्या 5. निम्न में से हिंदी भाषा पर 300 शब्दों में एक सारगर्भित निबंध लिखें।
क) हिंदी पत्रकारिता का इतिहास
ख) हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्य बनने तक का सफ़र
ग) हिंदी रिपोर्टर में अनिवार्य दक्षताएं
…….(10 Marks)
प्रश्न संख्या 6. निम्न मुहावरों / लोकोक्तियों का अर्थ कर उनसे वाक्य निर्मित करें (मुहावरों / लोकोक्तियों का वाक्य प्रयोग संसदीय अभिव्यक्तियों की शैलियों के आलोक में करने का यथा संभव प्रयास करें)
क) अंधे के हाथ बेटर लगना
ख) गुरु घंटाल होना
ग) कपास ओटना
घ) आटे दाल का भाव मालूम होना
ड) आगे नाथ न पीछे पगहा
…….(5 Marks)
प्रश्न संख्या 7.)
क) Write a brief explanatory note on any of two following Parliamentary Terms
- Adjourn sine die
- Crossing the floor
- Statutory Resolution
- Vote on Accounts
…….(5 Marks)
ख) निम्न अंग्रेजी शब्दों के हिंदी अर्थ लिखें।
- Censure Motion
- Dearness Allowance
- Heirarchy
- Lateral Entry
- Notified Area
…….(5 Marks)
प्रश्न संख्या 8. निम्न गद्यांश को पढ़कर इस में आए अशुद्ध शब्दों/व्याकरणिक अशुद्धियों को शुद्ध कर अलग से लिखिए।
सर्जन और परिवेश दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। जाकर महत्व परिवेश का हिमाचल में मुझ को अधिक ज्ञात हुआ। में जब बंगाल में था-कलकत्ते में- तब मुझे लगता था कि सारी वनस्पतियाँ समतल भूमि पर अनायास उग सकती हैं ? जब में हिमाचल प्रदेश में गया तब मुझको लगा कि नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है। पाँच हजार फुट से नीचे देवदारु होता ही नहीं, वहाँ तो चीड़ ही उग सकता है। पाँच हजार फुट से बारह हजार फुट तक देवदारु उगेगा और वारह हजार फुट के ऊपर कुछ भी नहीं उगेगा। परिवेश किस तरह प्रभावित करता है प्रकृति के सृजन को यह मैंने अपनी आँखों से देखा। लेह गया, लद्दाख गया अभी स्पीति घाटी गया था। मैंने सुन रखा था कि बर्फानी रेगिस्तान भी होता है लेकिन मैंने देखा अपनी आँखों से कि कैसे बर्फानी …………. उतने ऊपर दूर-दूर तक नंगे पहाड़ों की सृष्टि करता है, और फिर मैंने यह भी देखा कि कैसे मनुष्य का प्रयत्न, संकल्प उस बर्फानी रेगिस्तान को भी आंशिक रूप से ही सही, हराभरा कर सकता है।
…….(5 Marks)
प्रश्न संख्या 9. निम्न में से एक विषय पर लगभग 300 शब्दों में फीचर लिखें।
क) हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार
ख) हि.प्र. विधान सभा में हिमाचल कि दशा और दिशा निर्धारण पर बहस
ग) मैं लोकतंत्र बोल रहा हूँ
…….(10 Marks)
प्रश्न संख्या 10. संक्षेपण (Précis Writing)
क) निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें। इसके लिए एक उपयुक्त शीर्षक प्रदान करें तथा लगभग एक तिहाई में इसका संक्षेपण लिखें।
भारत की शास्त्रीय भाषाओं और साहित्य के महत्व, प्रासंगिकता और सुंदरता को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। संस्कृत, संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित एक महत्वपूर्ण आधुनिक भाषा होते हुए भी, इसका शास्त्रीय साहित्य इतना विशाल है कि सारे लैटिन और ग्रीक साहित्य को भी यदि मिला कर इसकी तुलना कि जाए तो भी इसकी बराबरी नहीं कर सकता। संस्कृत साहित्य में गणित, दर्शन, व्याकरण, संगीत, राजनीति, चिकित्सा, वास्तुकला, धातुविज्ञान, नाटक, कविता, कहानी, और बहुत कुछ (जिन्हे “संस्कृत ज्ञान प्रणालियों” के रूप में जाना जाता है), के विशाल खजाने हैं। इन सबको विभिन्न धर्मों के लोगों के साथ-साथ गैर-धार्मिक लोगों और जीवन के सभी क्षेत्रों और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों द्वारा हजारों वर्षों में लिखा गया है। इस प्रकार संस्कृत को, त्रि-भाषा के मुख्यधारा और उच्चतर शिक्षा के सभी स्तरों पर छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण, समृद्ध विकल्प के रूप में पेश किया जाएगा। यह उन तरीकों से पढ़ाया जाएगा जो दिलचस्प और अनुभवात्मक होने के साथ-साथ समकालीन रूपसे प्रासंगिक हैं, जिसमें संस्कृत ज्ञानप्रणाली का उपयोग शामिल है, और विशेष रूप से ध्वनियों के उच्चारण के माध्यम से। फाउंडेशनल और मिडिल स्कूल स्तर पर संस्कृत की पाठ्य पुस्तकों को संस्कृत के माध्यम से संस्कृत पढ़ाने (एसटीएस) और इसके अध्ययन को आनंददायी बनाने के लिए सरल मानक संस्कृत (एसएसम) में लिखा जा सकता है। भारत में शास्त्रीय तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, और ओडिशा सहित अन्य शास्त्रीय भाषाओं में एक अत्यंत समृद्ध साहित्य है।
…….(10 Marks)
ख) Read the following passage carefully. Supply a suitable title for it and write a precis of it in about one third of its length.
Most threatening of all is the prospect of climate change. Humans have been around for hundred of thousands of years , and have survived numerous ice ages and warm spells. However, agriculture, cities and complex societies have existed for no more than 10,000 years. During this period, known as the Holocene, Earth’s climate has been relatively stable. Any deviation from Holocene standards will present human socities with enormous challanges they never encountered before. It will be like conducting an open-ended experiment on billions of human guinea pigs. Even if human civilization eventually adapts to the new conditions, who knows how many victims might perish in the process of adaptation.
This terrifying experiment has already been set in motion. Unlike nuclear war – which is a future potential – climate change is a present reality. There is a scientific consensus that human activites, in particular the emission of greenhouse gases such as carbon dioxide, are causing the earth’s climate to change at a frightening rate. Nobody knows exactly how much carbon dioxide we can continue to pump into the atmosphere without triggering an irreversible cataclysm. But our best scientific estimates indicate that unless we dramatically cut the emission of green-house gasses in the next twenty years, average global temperatures will increase by more than 20C, resulting in expanding deserts, disappearing ice caps, rising oceans and more frequent extreme weather events such as hurricanes and typhoons.
…….(10 Marks)
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